अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था. यह ऑपरेशन साल 1984 में 1 से 8 जून तक चलाया गया था.
15 दिसंबर 1983 को भिंडरावाले ने अपने समर्थकों के साथ अकाल तख्त पर कब्जा कर लिया. उसने सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
1 जून को पूरे पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया. रेल, वायु और सड़क मार्ग बंद कर दिए गए. सेना ने सारा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया.
3 जून को सिक्खों के 5वें गुरु अंगद देव का शहीदी दिवस था. स्वर्ण मंदिर में रोजाना की अपेक्षा ज्यादा श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचे थे.
भिंडरावाले के समर्थकों ने श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर से बाहर नहीं निकलने दिया. सेना की किसी भी कार्रवाई में ढाल बनाने का प्लान था.
5 जून की शाम को कुलदीप सिंह बरार की अगुवाई में ऑपरेश ब्लू स्टार शुरू हुआ. सेना को आतंकियों के पास एंटी टैंक गन, रॉकेट लॉन्चर, मशीन गन होने का अनुमान नहीं था.
जब बात नहीं बनी तो टैंक से अकाल तख्त पर गोले दागे गए. इस कार्रवाई में भिंडरावाले मारा गया.
जब एक्शन खत्म हुआ तो पता चला कि अकाल तख्त पर 80 से ज्यादा गोले दागे गए थे.
इस ऑपरेशन में 83 जवान शहीद हुए थे और 248 जख्मी हुए थे. जबकि 500 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे. ब्रिगेडियर शाबेग सिंह भी मारे गए.
ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले पंजाब में कई बार हिंसा हुई थी. जून से पहले 5 महीने में सूबे में 300 लोगों की जान गई थी.