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रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था. उनको लोग गुरुदेव कहकर पुकारते थे. उनकी रचना 'गीतांजली' के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था. चलिए उनके अनमोल विचार जानते हैं.
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'दरिया के किनारे खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप समुद्र को पार नहीं कर सकते हैं'
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जीवन में सही समय पर सही निर्णय लेना एक कला है, जिससे हम अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ सकते हैं- टैगौर
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'मानवता की सबसे बड़ी विरासत सत्य है, जो हमें सही और गलत के बीच अंतर करने में मदद करती है'
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जो व्यक्ति दूसरों का अच्छा करने में बहुत ज्यादा व्यस्त रहता है, वह स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाता है- टैगौर
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'प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है'
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प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है- टैगौर
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'मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं, अगर मैं एक दरवाजे से नहीं जा पाया तो दूसरे से जाऊंगा या फिर एक नया दरवाजा बनाऊंगा'
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'तथ्य कई हैं पर सत्य एक है, अगर आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद करेंगे तो सच बाहर ही रह जाएगा'
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वर्तमान में चाहे कितना ही अंधकारमय क्यों न हो, कोशिश करेंगे तो कुछ शानदार सामने आएगा- टैगौर
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प्रेम चाहे किसी से भी हो, वो कभी अधिकार का दावा नहीं करता, क्योंकि प्रेम स्वतंत्रता देता है- टैगौर
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