(Photo Credit: PTI)
प्रयागराज में महाकुंभ का आगाज हो चुका है. इसमें मुख्य आकर्षण हैं नागा साधु और उनका अमृत यानी शाही स्नान है. इनकी परंपराएं, जीवनशैली और 17 शृंगार हर किसी के लिए रहस्य का विषय हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं.
नागा साधु संसार की मोह-माया से दूर भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं. उनका अमृत स्नान आत्मा, मन और शरीर के शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है. नागा साधु अमृत स्नान से पहले 17 शृंगार करते हैं.
17 शृंगार में भभूत, चंदन, चांदी या लोहे के पैरों के कड़े, पंचकेश, अंगूठी, फूलों की माला, हाथों में चिमटा, डमरू, कमंडल, गुंथी हुई जटा, तिलक, काजल, हाथों का कड़ा, विभूति का लेप, रोली का लेप और रुद्राक्ष जैसे धार्मिक प्रतीक शामिल हैं.
पौष पूर्णिमा का पहला स्नान 13 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त से शुरू होकर 14 जनवरी को रात 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगा.
इसके साथ ही अन्य शाही स्नान के शुभ दिन 14 जनवरी मकर संक्रांति, 29 जनवरी मौनी अमावस्या, 3 फरवरी बसंत पंचमी, 12 फरवरी माघ पूर्णिमा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि की है.
महाकुंभ में सबसे पहले नागा साधु स्नान करते हैं. उनके बाद ही आम श्रद्धालुओं को संगम में स्नान की अनुमति होती है.
स्नान के दौरान 5 पवित्र डुबकी लगानी होती है. स्नान करते समय साबुन और शैंपू का इस्तेमाल न करें.
कहते हैं कि महाकुंभ में त्रिवेणी घाट पर स्नान करने से जीवन के समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है, जिससे आत्मा और शरीर दोनों ही शुद्ध हो जाता है.
आप चाहें तो हेलीकॉप्टर राइड से सिर्फ ₹1,296 में 7-8 मिनट तक प्रयागराज महाकुंभ का भव्य दृश्य देख सकते हैं.