नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों के पूजा की होती है. भोग भी अलग-अलग लगाया जाता है. आइए जानते हैं किस दिन क्या भोग लगाने चाहिए.
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन गाय के घी या घी से बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है.
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. इस दिन माता को शक्कर का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से आयु में वृद्धि होती है.
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन माता को दूध-खीर या दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से धन वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
चौथे दिन मां कुष्मांडा कि पूजा कि जाती है. इस दिन माता को मालपुए का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से यश, बल, बुद्धि व विवेक का विकास होता है. निर्णय लेने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है.
पांचवें दिन मां स्कंदमाता कि पूजा कि जाती है. इस दिन माता को केले का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से जीवन में सभी प्रकार के सुख मिलता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है.
छठवें दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. इस दिन देवी को शहद और फल का भोग लगाया जाता है. इससे भक्त को काम, अर्थ, धर्म और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के दुख व संकट से मुक्ति मिलती है.
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना कि जाती है. मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने से बिगड़े काम पूरे होते हैं.
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन देवी को नारियल का भोग लगाया जाता है. ऐसा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और माता का आशीर्वाद परिवार के हर सदस्य पर बना रहता है.
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना कि जाती है. इस दिन माता को हलवा, पूड़ी और खीर का भोग लगाता है. ऐसा करने से अनहोनी दूर हो जाती है और माता के आशीर्वाद से सभी प्रकार की ऋद्धियां और सिद्धियां प्राप्त होती हैं.