इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसका प्रयोग मतदाता चुनावों के दौरान मतदान करने के लिए करते हैं.
फर्जी मतदान और बूथ कैप्चरिंग के कारण पेपर बैलेट विधि की व्यापक रूप से आलोचना के बाद ईवीएम को प्रयोग मे लाया गया था.
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को 1990 के दशक में राज्य के स्वामित्व वाली इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने मिलकर विकसित किया.
ईवीएम का प्रयोग 1998 और 2001 के बीच भारतीय चुनावों में चरणबद्ध तरीके शुरू किया गया. लेकिन अभी समय-समय पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ के आरोप लगते रहे हैं.
ईवीएम की कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है. बैलट यूनिट को मतदाताओं द्वारा मत डालने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखा जाता है.
ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि मतदान अधिकारी आपकी पहचान की पुष्टि कर सके.
ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलट यूनिट और 5 मीटर की केबल लगी होती है. ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलट यूनिट और 5 मीटर की केबल लगी होती है.
एक ईवीएम 6 वोल्ट की बैट्री की मदद से काम करती है ताकि किसी अन्य बाहरी पॉवर की जरुरत ना पड़े.
इसकी कंट्रोल यूनिट वोटिंग ऑफिसर के पास होती है और वोटर्स को वोट डालने के लिए बैलेट यूनिट दी जाती है.
वोटिंग ऑफिसर जब तक कंट्रोल यूनिट से बैलेट बटन प्रेस नहीं करेगा, वोटर बैलेट यूनिट से वोट नहीं डाल सकते हैं.
एक वोटर सिर्फ एक ही वोट डाल सकता है. एक बार वोट डाले जाने के बाद वोटर चाहे जितने भी बटन दबाएं, कुछ नहीं होने वाला है.
वोटर को पसंद के कैंडिडेट के नाम के आगे दिया बटन दबाना होता है और एक वोट डलते ही मशीन लॉक हो जाती है.
इसके बाद मशीन नए बैलट नंबर से ही खुलती है. बैलेट यूनिट तब तक काम में नहीं लाई जा सकती जब तब वोटिंग ऑफिसर इसके लिए परमीशन न दें.