चुनाव में जमानत जब्त होने का क्या है मतलब?

चुनाव में जीत बस एक की होती है, बाकी सब हार जाते हैं लेकिन कुछ प्रत्याशी तो ऐसे भी होते हैं जिनकी जमानत जब्त हो जाती है.

चुनाव लड़ने के लिए हर उम्मीदवार को एक तयशुदा धनराशि बतौर सिक्योरिटी डिपॉजिट चुनाव आयोग के पास में जमा करानी होती है.

उसी जमा की गई रकम को ही जमानत राशि कहा जाता है. पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक, हर चुनाव की जमानत राशि अलग होती है.

पंचायत, नगर निगम, लोकसभा, विधानसभा से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक, हर चुनाव में उम्मीदवार को जमानत राशि रिटर्निंग अधिकारी के पास जमा करनी होती है.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के मुताबिक हर स्तर के चुनाव में अलग-अलग जमानत राशि जमा की जाती है.

जब किसी उम्मीदवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में पड़े कुल वोटों के 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि को चुनाव आयोग वापस नहीं करता है.

यानी उसके द्वारा जमा कराई गई धनराशि जब्त कर ली जाती है. इसी स्थिति में उस उम्मीदवार की ‘जमानत जब्त’ मानी जाती है.