दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेट पर हजारों लोगों ने चढ़ाई की है. लेकिन अब तक कैलाश पर्वत पर कोई चढ़ नहीं पाया है.
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कैलाश पर्वत पर कई लोगों ने चढ़ाई करने की कोशिश की. लेकिन उनका कहना है कि कैलाश पर्वत और उसके आसपास समय तेजी से बढ़ता है.
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जिसके बाद कैलाश पर्वत पर चढ़ने पर रोक लगा दी गई. कहा जाता है कि 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी मलारेपा ने इसपर चढ़ाई की थी.
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कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर दिशा बताने वाला यंत्र कंपास ठीक से काम नहीं करता है.
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कैलाश पर्वत की आकृति भी रहस्य से भरी है. यह पर्वत की तरह नहीं, बल्कि पिरामिड की तरह दिखता है.
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शुद्ध पानी की दुनिया पहली सबसे उच्चतम झील कैलाश मानसरोवर को माना जाता है. जिसका आकार सूर्य के समान है.
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यहां राक्षस झील भी है, जो दुनिया की सबसे उच्चतम खारे पानी की झील में से एक है. इसको चंद्र के समान माना जाता है.
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कैलाश पर्वत के आसपास के माहौल का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां चारों तरफ अलौकिक शक्ति का प्रवाह है.
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कैलाश मानसरोवर झील के इलाके में एक प्रकार की ध्वनि सुनाई देती है, जो डमरू और ऊँ की तरह लगती है.
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वैज्ञानिकों का कहना है कि जब हवाएं पहाड़ से टकराती हैं और बर्फ पिघलती है तो यह ध्वनि उत्पन्न होती है.
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वैज्ञानिकों के अनुसार यह एक ऐसा केंद्र बिंदु है, जिसे विज्ञान की भाषा में एक्सिस मुंडी कहते हैं. इसका मतलब दुनिया की नाभि से है.
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