डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 99 प्रतिशत लोग प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. यह हेल्थ के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.
हर साल विश्व में एयर पॉल्यूशन की वजह से 67 लाख से ज्यादा लोग मौत का शिकार हो जाते हैं, इनमें से 32 लाख लोग इनडोर पॉल्यूशन से जान गंवाते हैं.
एयर पॉल्यूशन से होने वाली करीब 91 प्रतिशत मौतें कम और मध्यम इनकम वाले देशों में होती हैं. सबसे ज्यादा प्रकोप साउथ-ईस्ट एशिया में होता है.
प्रदूषण का बेहद छोटा तत्व PM 2.5 शरीर के सभी कवच को पार कर अंदर पहुंच जाता है. इससे फेफड़ों, हार्ट और ब्रेन को गंभीर नुकसान होता है.
वायु प्रदूषण से बच्चे अत्यधिक प्रभावित होते हैं. जहरीली हवा से बच्चों में श्वसन रोग, कैंसर और कॉग्निटिव डिक्लाइन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
घरेलू वायु प्रदूषण सबसे बड़ी चुनौती है. दुनिया में 300 करोड़ लोगों के पास खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन नहीं है. इससे महिलाएं प्रभावित होती हैं.
वायु प्रदूषण जलवायु परिवर्तन की वजह बन रहा है, जिससे हमारे ग्रह को काफी नुकसान हो रहा है. इससे हमारे प्लानेट की लाइफ प्रभावित हो रही है.
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन और सल्फर डाइऑक्साइड, कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाने से होने वाली अदृश्य गैस प्रदूषण फैला रही हैं.
खाना पकाने, गर्म करने और रोशनी जैसी गतिविधियों के लिए क्लीनर बर्निंग तकनीकों और ईंधन का उपयोग करना होगा. प्रदूषण कंट्रोल करना होगा.
सभी देशों को बेहतर शहरी नियोजन नीतियां अपनानी होंगी. गंदे उत्सर्जन को कंट्रोल करना होगा. ज्यादा प्रदूषण वाले वाहनों को बैन करना होगा.