जानिए क्या दहेज लेना और देना दोनों अपराध है

ऐसी संपत्ति या मूल्यवान वस्तु जो विवाह के पहले, विवाह के समय या विवाह के बाद एक पक्ष द्वारा (वर या वधु) किसी भी दूसरे पक्ष को दी जाती है, इसे दहेज कहा जाता है.

“साल 1961 में दहेज प्रथा पर रोक लगाने के लिए एक कानून बनाया गया- दहेज निषेध अधिनियम. इस कानून के मुताबिक दहेज लेना और देना दोनों अपराध है.”

कानून के अनुसार दहेज देना अपराध है, दहेज लेना भी अपराध है और दहेज लेने या देने में सहायता करने वाला भी आरोपी होता है.

इस अधिनियम में मुख्य बात यह है कि वैवाहिक विज्ञापनों में दहेज का विज्ञापन देना भी अपराध माना गया है.

इस कानून में अपराध होने पर इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में माना गया है. पुलिस मजिस्ट्रेट की अनुमति के बगैर भी जांच कर आरोपी पर कार्रवाई कर सकती है.

यह अपराध गैर जमानतीय होता है. अर्थात आरोपी की जमानत न्यायालय द्वारा ही दी जा सकती है.

इन अपराधों में भले ही दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाए लेकिन समझौते के अनुसार आरोपी दोषमुक्त नहीं हो सकता.

इस कानून में अपराध दर्ज होने पर न्यायालय में यह सिद्ध करने का भार आरोपी पर ही होता है कि उसके द्वारा दहेज की मांग नहीं की गई थी या उसने दहेज नहीं दिया है.