हवाई जहाज के इंजन पर मरे हुए मुर्गे फेंकने के पीछे एक खास वजह होती है.
ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि एरोप्लेन के इंजन को सुरक्षा के लिहाज से टेस्ट किया जा सके.
आपने कई बार सुना होगा कि कोई पक्षी एरोप्लेन के फ्लाई विंग्स या पंखे से टकरा गया. इससे हादसा होने का डर रहता है.
फ्लाइट क्रैश होने पर हजारों यात्रियों की जान भी जा सकती है. इससे बचने के लिए इंजन को टेस्ट किया जाता है.
ताकि कभी लैंडिंग या टेकऑफ के समय कोई भी पक्षी जहाज से टकराए तो जहाज को नुकसान न हो.
क्योंकि ऐसा अगर हुआ तो कई भारी हादसे होने की संभावना बनी रहती है.
विमान निर्माता कंपनियां मुर्गे फेंककर उसे टेस्ट करती हैं. इसे “बर्ड कैनन” कहा जाता है. कई बार ये नकली पक्षी भी होते हैं. या मरे हुए मुर्गे भी.
ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि पक्षी के टकराने से विमान का इंजन काम करना बंद न कर दे. इस प्रोसेस में 2 से 4 किलो चिकन का इस्तेमाल किया जाता है.