आसमान का रंग नीला होता है. लेकिन कभी-कभी ये आपको नारंगी या पीला भी दिखाई देता है.
दरअसल जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल के प्रभाव में आता है तो नीला नजर आता है.
वैसे ही जैसे ही सूर्य की रोशनी वायुमंडल में गैसों के कणों के टकराती है तो प्रकाश इंद्रधनुष के सभी रंगो में बंट जाता है.
इस प्रभाव को रेले स्कैटरिंग के रूप में जाना जाता है. लॉर्ड रेले ने इसकी खोज की थी. इसलिए इसे ये नाम दिया गया.
प्रकाश ऊर्जा की तरंगों के रूप में यात्रा करता है, जो सूर्य के प्रकाश के अलग होने पर सभी जगह बिखर जाती हैं.
नीले रंग की रोशनी स्पेक्ट्रम पर किसी भी अन्य रंग की तुलना में अधिक बिखरती इसी वजह से वो नीला दिखाई देता हैं.
वहीं आसमान में जब सूर्य ऊंचाई में होता है तो आसमान सफेद दिखाई देता है, जो इसका असली रंग है.
सुबह और शाम के समय आसमान का रंग पीला या नारंगी हो जाता है.
इसके पीछे का भी साइंस है. जिसके मुताबिक सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त धरती सूरज के करीब होती है.
उस समय सूर्य का ताप धरती पर कम पड़ता है. जिसके कारण नीले और हरे रंग की तुलना में नारंगी रंग अधिक परिवर्तित होता है.
जिसके चलते सुबह और शाम के समय आकाश का रंग लाल या नारंगी दिखाई देता है.