सावन के महीने में भगवान शिव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है.
सावन के महीने में कई घरों में लोग न तो कढ़ी खाते हैं और न ही बनाते हैं. कुछ घरों में तो दही से बनी चीजें भी नहीं खाई जाती है.
आइए जानते हैं इसके पीछे का वैज्ञानिक और धार्मिक कारण.
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सावन के महीने में भगवान शिव को कच्चा दूध चढ़ाया जाता है इसलिए कच्चा दूध व इससे संबंधित चीजों को खाना वर्जित है.
कढ़ी बनाने के लिए दही का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए सावन मास में कढ़ी या दूध, दही से संबंधित चीजों का सेवन करना मना किया गया है.
साइंस के अनुसार, सावन मास में दूध या दही से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. कच्चे दूध का सेवन करने से भी बचना चाहिए.
सावन के महीने में कढ़ी, दूध, दही से संबंधित चीजों के खाने से हेल्थ पर निगेटिव प्रभाव पड़ता है. ऐसा करने से पेट की पाचन क्रिया पर असर पड़ता है.
बारिश के कारण अनचाही जगहों पर घास उगने लगती है और कई तरह के कीड़े-मकोड़े उन पर रहते हैं. ऐसी जगहों पर गाय-भैंस घास चरने लगते हैं.
जिसका प्रभाव उनके दूध पर पड़ने लगता है. ये दूध सेहत के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं होता.
यही कारण है कि इस मौसम में दूध-दही से संबंधित चीजों का सेवन करने की मनाही है.