हनुमान जी को रुद्रावतार कहा जाता है. उन्हें बजरंग बली, महावीर, संकटमोचन जैसे तमाम नामों से जाना जाता है.
मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि पर हुआ था.
इसलिए हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती के तौर पर मनाया जाता है.
वहीं कुछ लोग हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मानते हैं.
ऐसे में मन में ये सवाल आना लाजमी है कि आखिर क्यों हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है? आइए जानें.
वाल्मीकि रामायण के मुताबिक भगवान हनुमान का जन्म कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को हुआ था.
उस दिन मंगलवार था, मेष लग्न और स्वाती नक्षत्र था. इसी तारीख का हवाला गीताप्रेस गोरखपुर की व्रत-पर्वोत्सव किताब में भी मिलता है.
तथ्यों के हिसाब से वाल्मीकि रामायण को सबसे प्रमाणिक ग्रंथ माना गया है. इसलिए हनुमान जी की जयंती यही सटीक मानी जाती है.
चैत्र माह की पूर्णिमा पर हनुमान जयंती मनाने के पीछे एक कहानी है.
दरअसल एक बार हनुमान जी सूरज को गेंद समझकर निगलने वाले थे, उस वक्त इंद्र भगवान ने अपने वज्र से हनुमान जी पर हमला कर दिया, जो हनुमान जी की ठोड़ी में जाकर लगा.
इस वजह से हनुमान जी बेहोश हो गए थे. इससे नाराज होकर पवनदेव ने दुनिया की प्राण वायु (हवा) रोक दी थी.
बाद में हनुमान जी को होश आया तो देवताओं की गुजारिश पर पवनदेव ने भी हवा छोड़ दी. इसके बाद हनुमान जी को देवताओं ने कई वरदान दिए.
उस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा थी. इसी कहानी की वजह से चैत्र महीने की पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्मदिन मनाया जाने लगा.