भारत के कानून में सबसे बड़ी सजा फांसी की होती है.
फांसी की सजा जघन्य अपराधों के लिए सुनाई जाती है. जज फांसी की सजा सुनाने के बाद इसलिए पेन की निब इस आशा के साथ तोड़ देते हैं ताकि ऐसा अपराध दोबारा न हो.
किसी अपराधी को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद जब फैसले पर हस्ताक्षर करना होता है. जिसके बाद उस पैन की निब तोड़ दी जाती है जिससे उस अपराधी की मौत लिखी है.
वहीं फांसी की सजा सुनाने के बाद पेन की निब इसलिए भी तोड़ी जाती है, क्योंकि जिस पैन ने अपराधी की मौत लिखी है वह किसी और काम के लिए इस्तेमाल नहीं की जा सके.
'Death Sentence' किसी भी जघन्य अपराध के मुकदमों के लिए समझौते का अंतिम एक्शन होता है, जिसे किसी भी अन्य प्रक्रिया द्वारा बदला नहीं जा सकता.
जब फैसले में पेन से “Death” लिख दिया जाता है, तो इसी क्रम में पेन की निब को तोड़ दिया जाता है, ताकि इंसान के साथ-साथ पेन की भी मौत हो जाए.
जब पेन से “Death” लिख दिया जाता है उसके बाद निब तोड़ दिये जाने के बाद खुद जज को भी यह यह अधिकार नहीं होता कि उस जजमेंट की समीक्षा कर सके या उस फैसले को बदल सके या पुनर्विचार की कोशिश कर सके. वो फैसला अंतिम माना जाता है.