जानें क्यों वेश्यालय की मिट्टी से बनाई जाती है मां दुर्गा की मूर्ति

पूरे भारत में नवरात्रि का त्योहार बेहद खास माना जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में माता के 9 रूपों की पूजा की जाती है.

इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर से होने जा रही है और समापन 24 अक्टूबर को होगा.

देवी दुर्गा की मूर्ति बनाने के लिए वेश्यालय और पवित्र नदियों की माटी का प्रयोग किया जाता है.

मान्यता के अनुसार मूर्ति बनाने के लिए जब तक वेश्यालय के बाहर पड़ी मिट्टी का प्रयोग ना हो तब तक मूर्ति अधूरी मानी जाती है.

वेश्यालय की माटी से पवित्र मां दुर्गा की मूर्ति बनाने के पीछे कई मान्यताएं और धारणाएं जुड़ी हुई हैं.

मान्यता के अनुसार, एक वेश्या मां  दुर्गा की भक्त थी. लेकिन वेश्या होने के कारण उसे समाज सम्मान प्राप्त नहीं था और उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था.

माता रानी ने भक्त को समाज के तिरस्कार और यातनाओं से बचाने के लिए स्वयं आदेश देकर उसके आंगन की माटी से अपनी मूर्ति का निर्माण करवाया.

इसके बाद से ही यह परंपरा शुरू हुई. जानकारों के अनुसार शारदा तिलकम, महामंत्र महार्णव, मंत्रमहोदधि आदि जैसे ग्रंथों में इसकी पुष्टि भी की गई है.