जब पायलट प्लेन उड़ा रहा होता है तो उसे रेडियो और रडार के उपयोग से रास्ता बताया जाता है.
वो हर वक्त ATC यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल के संपर्क में रहता है.
ATC पायलट को हर जरूरी निर्देश देता है कि उसे किस दिशा में जाना है और कहां नहीं जाना है.
इतना ही नहीं पायलट को सही रास्ता दिखाने के लिए HSI (होरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर) का इस्तेमाल करते हैं.
इसके जरिए पायलट को आसानी से पता चल जाता है कि कहां जाना है.
ATC के जरिए आसपास के प्लेन की जानकारी भी पायलट को मिलती रहती है.
जहाज आम तौर पर 35 हजार फीट यानी 10.668 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ता है.
हालांकि, यात्रा और स्थान के लिहाज से ऊंचाई घटती-बढ़ती रहती है.
बता दें कि कॉमर्शियल प्लेन सामान्यत: 33,000 से 42,000 फीट तक की ऊंचाई पर उड़ती है.