ट्रेन लंबी दूरी की यात्रा के लिए सबसे सस्ते साधनों में से एक है. केवल सस्ता ही नहीं ट्रेन सुविधाजनक माध्यम भी है. यह हमें देश के एक छोर से दूसरे छोर कर पूरी सुरक्षा के साथ पहुंचाती है.
ट्रेन का किराया लगभग अन्य सभी साधनों से सस्ता होता है. पर क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन के किराये का कैलकुलेशन किया कैसे जाता है.
अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे कि ट्रेन टिकट के किराए में क्या-क्या जोड़ा जाता है.
आपके ट्रेन के किराये में कई तरह के चार्ज जुड़े होते हैं. ये चार्ज आपकी ट्रेन के टाइप पर डिपेंड करता है.
जैसे शताब्दी ट्रेन के लिए अलग चार्ज होते हैं, राजधानी, एक्सप्रेस और बाकि ट्रेनों के लिए भी अलग चार्ज होते हैं.
अब इनमे डिस्टेंस चार्ज, रिजर्वेशन चार्ज, GST और भी अन्य चीजें शामिल होती हैं. इसके आधार पर आपकी ट्रेन का किराया तय किया जाता है.
आपकी ट्रेन के किराये के कैलकुलेशन में सबसे बड़ा फैक्टर किलोमीटर होता है. यानि आपको यात्रा कितनी दूरी की करनी है ये सबसे बड़ा फैक्टर होता है.
ट्रेन के किराये के लिए दूरी को कई केटेगरी में बांटा गया है. जैसे 1-5, 6-10, 11-15, 16-20, 21-25 और इसी तरह 4951-5000 किलोमीटर की कैटेगरी है.
आप जितनी दूरी का सफर करेंगे उसके हिसाब से आपका किराया तय किया जाएगा.
ट्रेन के किराये का पूरा ब्रेक अप इंडियन रेलवे की वेबसाइट पर है. आप चाहें तो वहां से अपने किराये का ब्रेक अप देख सकते हैं.
इसके लिए आपको इंडियन रेलवे की वेबसाइट पर जाने के बाद रेलवे बोर्ड सेक्शन में जाना होगा और वहां coaching सेक्शन में आपको किराये के बारे में जानकारी मिल जाएगी.
अगर ट्रेन के किराये की तुलना बस, टैक्सी या अन्य पब्लिक व्हीकल से की जाए तो ट्रेन से सफर काफी सस्ता हो जाता है. इसमें आपको टोल, पेट्रोल या अन्य पैसे नहीं खर्च करने होते हैं.
मान लीजिए आप लखनऊ से दिल्ली कैब से आ रहे हैं तो आपको कम से कम 8 हजार रुपये खर्च करने होंगे. वहीं आप ट्रेन से महज 1000 या 1200 रुपये में 6 घंटे में दिल्ली पहुंच जायेंगे.