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कुंभ आस्था, परंपरा और हिन्दू संस्कृति का संगम है. दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला शुरू हो चुका है.
इस बार महाकुंभ 144 साल बाद प्रयागराज में लग रहा है. महाकुंभ का इतिहास कई साल पुराना है.
बहुत कम लोगों को पता है कि एक श्राप की वजह से कुंभ शुरू हुआ था. आइए इस बारे में जानते हैं.
स्कंद पुराण के अनुसार, असुरों से संग्राम जीतने के बाद देवताओं में काफी अहंकार आ गया था. वो अपने कर्तव्यों को भूल गए थे.
इन्द्र देव समेत सभी देवता ऐश्वर्य से जी रहे थे. इसी दौरान एक बार ऋषि दुर्वासा देवताओं की नगरी पहुंचे.
इन्द्र देव ने ऋषि दुर्वासा का स्वागत भी नहीं किया. इससे ऋषि को काफी बुरा लगा.
ऋषि दर्वासा इन्द्र की सभा में गए और उनको फूलों की माला दी. जिसे इन्द्र ने फेंक दिया.
इसके बाद समुद्र मंथन हुआ. समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की बूंदें जहां-जहां गिरीं. वहां पर कुंभ का आयोजन होता है.
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