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महाकुंभ में स्नान का विशेष महत्व होता है और इसे पापों से मुक्ति व मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है.
शास्त्रों के अनुसार, महाकुंभ में कम से कम तीन डुबकी लगानी चाहिए – पहली पवित्रता के लिए, दूसरी आत्मशुद्धि के लिए और तीसरी मोक्ष के लिए.
अगर संभव हो, तो सभी प्रमुख स्नान तिथियों पर डुबकी लगाना शुभ माना जाता है, खासकर मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के दिन.
साधु-संतों और ज्योतिषियों के अनुसार, गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं.
महाकुंभ में स्नान करने से रोग, शोक और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है.
कुछ लोग मानते हैं कि सात डुबकी लगाने से संपूर्ण कल्याण होता है, लेकिन श्रद्धा और क्षमता के अनुसार स्नान किया जा सकता है.
डुबकी लगाते समय मन में शुद्ध भाव और मंत्रों का जाप करना चाहिए, जिससे इसका आध्यात्मिक लाभ अधिक मिलता है.
महाकुंभ में स्नान के बाद दान-पुण्य करना भी बेहद शुभ माना जाता है.
बिना आस्था और श्रद्धा के महाकुंभ में डुबकी लगाने का कोई लाभ नहीं होता, इसलिए इसे धार्मिक भावना से करना चाहिए.
अगर कोई व्यक्ति अस्वस्थ है या वृद्धावस्था में है, तो सिर्फ गंगा जल का स्पर्श करके भी पुण्य लाभ प्राप्त कर सकता है.
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