राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे- मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन.
भविष्य में क्या होगा, मैं यह नहीं सोचना चाहता. मुझे वर्तमान की चिंता है. ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है.
गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती, वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है. खुशबू ही उसका संदेश है.
केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़कें तो उसकी कुछ बूंदे अवश्य ही आप पर भी पड़ती हैं.
जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाए हुए धन के बराबर है.
कुछ लोग सफलता के केवल सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं.
आप तब तक यह नहीं समझ पाते कि आपके लिए कौन महत्वपूर्ण है, जब तक आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देते.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे- ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है. यह तो अदम्य इच्छाशक्ति से आती है.
क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ, अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है.