1940 के दशक की शुरुआत में कैलिफॉर्निया के दो भाईयों, रिचर्ड और मौरिस मैक्डॉनल्ड्स ने हॉटडॉग बेचने के लिए एक छोटे से रेस्टोरेंट की शुरुआत की.
उन्होंने लोगों की मांग के अनुसार, हॉटडॉग की जगह हैमबर्गर और फ्रेंच फ्राइज देना शुरू किया. उन्होंने 'स्पीडी सर्विस सिस्टम' पर काम किया.
इसमें वह ग्राहकों को कम दाम में अच्छे हैमबर्गर परोसते और साथ ही, स्पीड से ऑर्डर पूरा करते. जिससे ग्राहकों को बहुत इंतजार नहीं करना पड़ता था.
यह स्ट्रेटजी काम कर गई और McDonald's जल्द ही इतना मशहूर हो गया कि लोग कतारों में खड़े होने लगे. एक छोटे से रेस्टोरेंट की इतनी पॉप्युलैरिटी देखकर रे क्रोक नामक एक सेल्समैन ने इससे जुड़ने की ठानी.
क्रोक शिकागो से थे. 1954 में, उन्हें McDonald's रेस्टोरेंट के बारे में पता चला. वह इसके संचालन से दंग रह गए. क्रोक को इस रेस्टोरेंट में नई संभावनाएं नजर आईं और उन्होंनें दोनों भाईयों सामने फ़्रेंचाइजी का विकल्प रखा.
साल 1955 में, उन्होंने मैक्डॉनल्ड्स कॉर्पोरेशन के पूर्ववर्ती मैक्डॉनल्ड्स सिस्टम, इंक. की स्थापना की, और छह साल बाद McDonald's के नाम और ऑपरेटिंग सिस्टम के अधिकार खरीद लिए.
1958 तक McDonald's ने 100 मिलियन हैमबर्गर बेचने का रिकॉर्ड बना लिया था. इसके बाद क्रोक ने दोनों भाइयों को तकरीबन 18 करोड़ रुपए देकर McDonald's को खरीद लिया.
क्रोक का सपना इसे सिर्फ अमेरिका, यूरोप नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैलाने का था. क्रोक ने अगले 10 सालों में McDonald's के 700 आउटलेट खोल दिए.
साल 1965 में कंपनी ने अमेरिका के बाहर कनाडा में पहला आउटलेट खोला और इसी साल कंपनी को पब्लिक लिमिटेड कंपनी बना गया.
आज कई देशों के स्टॉक एक्सचेंज में यह लिस्टेड है. क्रोक ने कंपनी को इतनी तेजी से आगे बढ़ाया कि 1994 तक दुनिया के 79 देशों में 15 हजार McDonald's रेस्टोरेंट खोले गए.
1996 में भारत दुनिया का 95वां देश था जहां McDonald's पहुंचा. आज दुनिया भर में McDonald's के 31 हजार से ज्यादा काउंटर सर्विस, वॉक और ड्राइव-थ्रू सर्विस के इनडोर और आउटडोर सीटिंग वाले आउटलेट हैं.