Photo Credits: Facebook/Website/@MDH
MDH ब्रांड के मसाले हर घर में इस्तेमाल होते हैं और इस ब्रांड के फाउंडर, महाशय धर्मपाल गुलाटी को भी लोग जानते हैं.
MDH की फुल फॉर्म है - 'महाशियां दी हट्टी', जिसका अर्थ है 'सम्मानित व्यक्ति की दुकान.' इस नाम से धर्मपाल गुलाटी के पिता सियालकोट, तत्कालीन भारत (अब पाकिस्तान) में मसालों की दुकान चलाते थे.
धर्मपाल ने पांचवीं कक्षा में ही स्कूल छोड़ दिया था और उन्होंने दर्पण, साबुन आदि बेचना शुरू किया. उन्होंने कई उद्यमों में हाथ आजमाया पर कुछ भी नही चला.
उनके पास मसाले बेचने में अपने पिता की मदद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. जैसे-जैसे कारोबार बढ़ा तो उन्हें'देगी मिर्च वाले' के नाम से जाना जाना लगा.
लेकिन 1947 के बंटवारे ने सबकुछ बदल दिया और गुलाटी परिवार को अपना घर-कारोबार छोड़कर भारत आना पड़ा.
दिल्ली पहुंचने पर धर्मपाल मे तांगा चलाना शुरू किया. लेकिन इससे भी उनका घर नहीं चल पा रहा था और तब उन्होंने एक बार फिर मसालों में किस्मत आजमाने की सोची.
जैसे-तैसे उन्होंने करोल बाग में छोटी सी दुकान शुरू की और जल्दी ही उनका काम जम गया. उन्हें सियालकोट के मसाले वाले के नाम से जाना जाने लगा.
धीरे-धीरे उन्होंने और स्टोर खोले और देखते ही देखते MDH बड़ा ब्रांड बन गया.
आज कंपनी 65 से ज्यादा प्रोडक्ट्स बेचती है और उनका बिजनेस 2000 करोड़ से ज्यादा का है.