करवा चौथ पर पिया के नाम क्यों लगाई जाती है मेहंदी

 करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और लड़कियां अच्छे वर के लिए व्रत रखती हैं.

करवा चौथ पर महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं. इस दिन हाथों पर मेहंदी रचाना शुभ माना जाता है.

भारतीय परंपरा में मेहंदी सिर्फ रंग ही नहीं, संस्कृति का भी अहम हिस्सा है. सुहागिन महिलाओं के जीवन में इसका विशेष महत्व है.

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार मेहंदी के बिना सारा शृंगार अधूरा माना जाता है. इस दिन महिलाएं हथेली पर मेहंदी से पति का नाम लिखवाती हैं. 

माना जाता है कि मेहंदी का रंग जितना अधिक सुहागिन महिलाओं के हाथों पर चढ़ता है पति और ससुराल वालों से उतना ही ज्यादा प्यार मिलता है.

मेहंदी दिखने में हरे रंग की होती है लेकिन चढ़ने के बाद यह लाल रंग में रचती है. जितना ज्यादा यह रंग देती है महिलाओं की खूबसूरती में उतना ही चार चांद लगता है.

करवा चौथ पर्व की तैयारियों में जुटी महिलाओं और युवतियों के हाथों की रौनक बढ़ाने के लिए पूरे देश में मेहंदी बाजार सज चुका है.

मेहंदी में नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और किसी के जीवन में सकारात्मकता लाने की शक्ति होती है. 

माना जाता है कि मेहंदी का शरीर पर ठंडा प्रभाव पड़ता है, जिससे यह करवा चौथ के उपवास के दौरान फायदेमंद होती है और मानसिक शांति लाने में मदद करती है.