मिर्ज़ा ग़ालिब और उनकी शायरी देश-दुनिया में मशहूर है. उनकी शायरी ऐसी है कि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, सबके दिल को भाती है.
आज पढ़िए उनकी कुछ ऐसी शायरियां जो आपकी रूह को छू लेंगी और आप कहेंगे, वाह! ग़ालिब, क्या लिखा है.
उनको देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक, वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है.
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब', कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे
न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, डुबोया मुझको होने ने न मैं होता तो क्या होता
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत है कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता