(Photos Credit: Pexel)
'आमदमी अठन्नी और खर्चा रुपैया,' यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी. आमतौर में ये हिसाब होता है मिडिल क्लास लोगों के साथ.
ऐसा इसलिए क्योंकि सैलरी आते ही कब पैसे खर्च हो गए मिडिल क्लास वाले बहुत से लोगों को को पता ही नहीं चलता. इसका कारण है लोगों को मनी मैनेजमेंट करना नहीं आना.
तो चलिए हम आपको मनी सेविंग का एक ऐसा नियम बताते हैं जो आपकी इस समस्या का हल कर देगा.
हम बात कर रहे हैं, 50-30-20 रूल की, जो एक बजट मेथड है. यह मेथड आपकी इनकम को तीन कैटेगरी- 50%, 30% और 20% में बांटता है.
आपकी सैलरी का 50% भाग आप अपनी जरूरत पर खर्च करते हैं, 30% लाइफस्टाइल बेहतर करने के लिए और 20% सैलरी सेविंग्स में डालते हैं.
उदाहरण के लिए मान लीजिए, आप महीने के 50 हजार रुपए कमाते हैं. इन 50 हजार का आधा भाग यानी 25000 रुपये आप अपनी जरूरतों पर खर्च करें.
जरूरतें जैसे- किराने का सामान, ट्रंसपोर्ट, रोजमर्रा के खर्चे, हाउस रेंट, ईएमआई, बिजली बिल, फोन, इंटरनेट, हेल्थ केयर.
इनकम का 30% भाग यानी 15000 रुपये अपनी लाइफस्टाइल को बेहतर करने पर जैसे- ट्रिप पर जाना, नया फोन या गैजेट खरीदारी और मनोरंजन पर खर्च करना आदि.
वहीं, 20 % हिस्सा यानी 10000 रुपये सेविंग्स में डालें. आपकी सेविंग्स भविष्य में किसी भी जरूरत के समय आपके काम आती हैं. इस तरह आप सिक्योर रहते हैं.