डॉन अतीक और अशरफ की लाइफ का 'द एंड' होने के बाद माफिया मुख्तार अंसारी को लेकर चर्चा गर्म है.
आपको जानकर हैरानी होगी कि मुख्तार यूपी के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से संबंध रखता है लेकिन उसने राजनीति के साथ-साथ अपराध का दामन थाम अपनी अलग राह चुनी.
1996 में पहली बार चुनाव जीतकर वह विधानसभा पहुंचा और फिर 2002, 2007, 2012, 2017 में भी उसने जीत दर्ज की. 5 से 3 चुनाव तो उसने जेल में रहकर ही जीते.
यूपी में मुख्तार 52 केसों में नामजद है. उसपर पहला मुकदमा 1988 में दर्ज हुआ था. यही वो साल था जहां से उसने गुनाहों की दुनिया में कदम बढ़ाना शुरू कर दिया.
साल था 2005 जब भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की गाड़ी पर AK-47 से 400 राउंड गोलियां बरसाई गई. इस घटना में विधायक समेत 7 लोग मारे गए.
विधायक कृष्णानंद की हत्या में मुख्तार का नाम आया और गिरफ्तारी भी हुई लेकिन गवाह मुकर गए और कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में उसे बरी कर दिया.
दहशत ऐसा कि गवाह कोर्ट में टिक नहीं पाते थे लेकिन सितंबर 2022 में कोर्ट ने जेलर एसके अवस्थी को धमकी देने के मामले में मुख्तार को पहली बार 7 साल की सजा सुनाई.
मऊ में दंगा भड़काने के मामले में मुख्तार ने पुलिस के सामने सरेंडर किया और इस बात को 17 साल हो गए. तब से वह जेल में बंद है.
माफिया मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. वो 1926-27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. वहीं उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी मुख्तार के रिश्ते में चाचा लगते हैं.
मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुका है और नेशनल में गोल्ड भी जीत चुका है.
अब्बास ने भी राजनिति में कदम रखा और मऊ से 2022 में विधायकी का चुनाव जीता. हालांकि इसी साल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया.