मशहूर शायर मुनव्वर राणा भले ही अब हमारे बीच न रहें. लेकिन उनके कुछ प्रसिद्ध शेर लोगों के दिलों में हमेशा राज करेंगे.
तो चलिए आपको मुनव्वर राणा के कुछ प्रसिद्ध शेर के बारे में बताते हैं.
हम कुछ ऐसे तेरे दीदर में खो जाते हैं. जैसे बच्चे भरे बाजार में खो जाते हैं.
परिंदो के लिए शहरों में पानी कौन रखता है. नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है. परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है.
किसी भी मोड़ पर तुमसे वफादारी नहीं होगी. हमें मालूम है तुमको ये बीमारी नहीं होगी. मैं चाहता हूं कि तुझ पर किसी का हक न रहे .
तुझे अकेले पढूं कोई हम-सबक न रहे. मैं चाहता हूं कि तुझ पर किसी का हक न रहे.
तलवार तो क्या मेरी नजर तक नहीं उठी. उस शख्स के बच्चो की तरफ देख लिया था.
फरिश्ते आके उनके जिस्म पर खुश्बू लगाते हैं. वो बच्चे रेल के डिब्बे में जो झाड़ू लगाते हैं.
मोहाजिरो यही तारीख है मकानों की बनाने वाला हमेशा बरामदों में रहा.
इससे पहले मेरा कमरा भी गजल जैसा था. तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी. इससे पहले मेरा कमरा भी गजल जैसा था.
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई मैं घर में सबसे छोटा था मेरी हिस्से में मां आई.
मिट्टी को भी मां कहते हैं सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं. हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी मां कहते हैं.