जरूर जान लें राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से जुड़ी ये बातें

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हर एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का अपना एक ध्‍वज होता है. यह एक स्‍वतंत्र देश होने का संकेत है. भारत का राष्‍ट्रीय ध्‍वज है तिरंगा.

तिरंगा को इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी.  

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों समान अनुपात में हैं.

सफेद पट्टी के मध्‍य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है. यह चक्र सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है. इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है.

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है. बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है. निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है.

सफेद पट्टी पर चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है. 

26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्‍वज संहिता में संशोधन किया गया और स्‍वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्‍ट‍री में न केवल राष्‍ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई.

अब भारतीय नागरिक राष्‍ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है. बशर्ते कि वे ध्‍वज की संहिता का सावधानीपूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें.

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज भारत के नागरिकों की आशाएं और आकांक्षाएं दर्शाता है. यह हमारे राष्‍ट्रीय गर्व का प्रतीक है.