हर साल 7 अगस्त को भारत में National Handloom Day मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य भारतीय हस्तकला को बढ़ावा देना है.
भारत में कपड़े, लकड़ी, धातु आदि से संबंधित सैकड़ों तरह की हस्तकलाएं हैं जिन्हें सहेजकर रखना न सिर्फ हमारी नैतिक जिम्मेदारी है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की भी जरूरत है.
आज हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे स्टार्टअप्स के बारे में जो भारत में हैंडलूम और बुनकरों की जिंदगी को संवार रहे हैं.
कारागिरी
पुणे में पल्लवी मोहदिकर पटवारी ने अपने पति डॉ. अमोल पटवारी के साथ मिलकर जुलाई 2017 में यह 'कारागिरी' शुरू किया. पल्लवी के दादा विदर्भ के एक बुनकर थे. उन्होंने बचपने से ही अपने दादाजी को सूत से सुंदर कपड़े बनाते हुए देखा था और उनकी भी इस कला में दिलचस्पी बढ़ने लगी. IIM लखनऊ से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया और अब वे 1500 से ज्यादा बुनकर परिवारों को काम दे रही हैं.
इंडे' लूम
सुरेन चौधरी और तोली संध्या ने 2018 में इंडे' लूम की शुरुआत की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत के कारीगरों के जीवन में सुधार लाना था. ब्रांड की पहचान मेकर-टू-मार्केट फेयर ट्रेड स्टार्टअप के रूप में है. इंडे' लूम पारंपरिक समृद्ध भारतीय विरासत को फैशन, ट्रेंड्स, रंगों और पैटर्न को साथ में सहजता से जोड़ता है.
द इंडियन एथनिक कंपनी
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द इंडियन एथनिक कंपनी की शुरुआत एक मां-बेटी, लेखिनी और हेतल देसाई ने शुरू की ताकि भारतीय हथकरघा (हैंडलूम) और हस्तशिल्प को संवारा जा सके. लेखिनी ने होम साइंस की डिग्री ली है, वहीं हेतल एक पेशेवर ओडिसी नृत्यांगना हैं. दोनों मां-बेटी ने भारतीय कला को सहेजने के लक्ष्य से इस स्टार्टअप की शुरुआत की.
वुड एंड यार्न
साल 2012 में अंजू नायर ने चेन्नई में वुड एंड यार्न की शुरुआत की थी. ऑफलाइन बिक्री के लिए इस, स्टार्टअप ने चेन्नई में अपना स्टोर लॉन्च किया है और समय-समय पर प्रदर्शनियां भी आयोजित करते हैं. अंजू को उनकी मां कला थंबी का साथ मिला. कला 30 वर्षों के अनुभव के साथ चेन्नई की एक मशहूर टैक्सटाइल डिजाइनर हैं.