यहां हर रात को सोने के लिए आते हैं महादेव 

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से 80 किमी दूर है. यह नर्मदा नदी के किनारे बसी एक ऊंची पहाड़ी पर मौजूद है.

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यहां शिव का ज्योतिर्लिंग ऊं के आकार वाली पहाड़ी पर मौजूद है. इसी वजह से इनको ओंकारेश्वर कहा जाता है. शिव पुराण में इसको परमेश्वर लिंग भी कहा गया है.

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धार्मिंक मान्यता के मुताबिक भगवान शिव माता पार्वती के साथ ओंकारेश्वर में रात में सोने के लिए आते हैं.

मान्यता यह भी है कि रात के समय शिव आदिशक्ति माता पार्वती के साथ हर रोज यहां चौपड़ खेलते हैं.

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इसीलिए शाम की आरती के बाद यहां चौपड़ बिछाकर मंदिर के गर्भग्रह को बंद कर दिया जाता है. अगले दिन सुबह जब गर्भग्रह खोला जाता है तो यह चौपड़ बिखरा हुआ मिलता है.  

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक कथा बहुत ही प्रचिलित है. कहा जाता है कि राधा मधांता ने एक समय में महादेव को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी.

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जब उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उनको दर्शन दिए तो दो वर मांगने के लिए कहा.

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पहले वर में राजा मधांता ने शिव से कहा कि वह इसी जगह पर विराजमान हो जाएं साथ ही उन्होंने शिव के नाम से अपना नाम जोड़ने का भी वर महादेव से मांगा.

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मान्यता के मुताबिक तब से ही भगवान शिव इस जगह पर विराजमान हैं. इस जगह को मधांता के नाम से भी जाना जाता है.

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