(Photos Credit: Unsplash)
कोई भी चीज मंगवानी हो या भेजनी हो. इसके लिए पिन कोड बहुत जरूरी होता है. पिन कोड से सामान सही पते पर पहुंच जाता है.
पहले खतों में सबसे ज्यादा पिन कोड का इस्तेमाल किया जाता था. इंटरनेट के जमाने में ऑनलाइन सामान मंगवाने में पिन कोड का इस्तेमाल होता है.
पिन कोड 6 अंकों का होता है. क्या आपने कभी सोचा है कि पिन कोड 6 अंकों का ही क्यों होता है? आइए इस बारे में जानते हैं.
पिन का मतलब पोस्टल इंडेक्स नंबर होता है. 1972 से पहले भारत में पिन कोड नहीं था. तब चिट्ठियों को सही पते पर भेजने में दिक्कत होती है.
15 अगस्त 1972 को भारत में पिन कोड की शुरूआत हुई थी. श्रीराम भीकाजी वेलणकर को पिन कोड का जनक माना जाता है.
पूरे भारत को 9 इलाकों में बांटा गया है. इन इलाकों को अलग-अलग पिन कोड दिया गया है. इसमें एक जोन इंडियन आर्मी के लिए भी रिजर्व है.
पिन कोड का पहला डिजिट राज्य का होता है. वहीं पिन कोड का दूसरा नंबर सब जोन को दिखाता है.
पिन कोड का तीसरा नंबर जिले का होता है. वहीं पिन कोड के आखिरी तीन डिजिट पोस्ट ऑफिस का कोड होता है. इस तरह से 6 नंबर के पिन कोड को डिजाइन किया गया है.
भारत में इस समय 19 हजार से ज्यादा पिन कोड हैं. ये पिन कोड आज की जिंदगी में बेहद जरूरी हैं.