पितृ पक्ष के दौरान इन चीजों का रखें ख्याल, तभी पूरा होगा तर्पण

अपने पूर्वजों की शांति और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए पितृ पक्ष में तर्पण किया जाता है. 

इस बार 29 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो गए हैं और अमावस्या के दिन 14 अक्टूबर को आखिरी होगा. इस दौरान कुछ सावधानियों का पालन करना बहुत जरूरी है.

इस अवधि में दोनों बेला स्नान करके पितरों को याद करना चाहिए.

कुतप काल में पितरों को तर्पण दें , इसी समय में तर्पण का विशेष महत्व है

तर्पण में कुश और काले तिल का विशेष महत्व है , इनके साथ तर्पण करना अदभुत परिणाम देता है

जो कोई भी पितृपक्ष का पालन करता है उसे इस अवधि में केवल एक बेला सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए

पितृपक्ष में सात्विक आहार खाएं , प्याज, लहसुन , मांस, मदिरा से परहेज करें, जितना संभव हो दूध का प्रयोग कम से कम करें.

पितरों को हल्की सुगंध वाले सफेद पुष्प अर्पित करने चाहिए , तीखी सुगंध वाले फूल वर्जित हैं.

दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तर्पण और पिंड दान करना चाहिए.

पितृपक्ष में नित्य भगवदगीता का पाठ करें, कर्ज लेकर या दबाव में कभी भी श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए.