माना जाता है कि ग्रहण में वातावरण की किरणें नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं. इसलिए ग्रहण और सूतक काल में कुछ भी खाने-पीने की मनाही रहती है.
शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को बहुत ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत होती है.
शास्त्रों के अनुसार, ऐसा मन जाता है कि उनकी ज़रा सी लारवाही से आने वाले बच्चे पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय रसोई से संबंधित कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए.
उन्हें सुई में धागा नहीं डालना चाहिये. कुछ छीलना या काटना नहीं चाहिए.
गर्भवती महिला के आस-पास से ग्रहण के निगेटिविटी को दूर करने के लिए उनके कमरे के बाहर गोबर या गेरु से स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए.
ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और ना ही ग्रहण को कभी भी डायरेक्ट आंखों से देखना चाहिए.
गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. महिलाओं को पूजा-पाठ में मन लगाना चाहिए.