ओडिशा में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की भव्य तैयारी है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु पुरी में जुटे हैं.
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जगन्नाथ मंदिर में रोजाना भगवान को 6 बार भोग लगाया जाता है. इस दौरान भगवान के सामने 56 तरह के पकवान सजाए जाते हैं.
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भगवान के भोग में होने वाले 6 रसों का ध्यान रखा जाता है. भोग में बनाए खाने में मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसैला स्वाद होता है.
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मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है. इस मंदिर में 15 मिनट में 17500 लोगों के लिए प्रसाद बनता है.
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मंदिर की रसोई 11वीं शताब्दी में राजा इंद्रवर्मा ने बनवाया था. जबकि मौजूदा रसोई राजा दिव्य सिंहदेव ने बनवाई थी.
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रसोई मंदिर की दक्षिण-पूर्व दिशा में है और 8000 स्क्वायर फीट है. गंगा-यमुना नाम के दो कुओं के पानी से भोग बनता है.
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रसोई में 240 चूल्हे हैं, हर चूल्हे पर 9 मिट्टी के बर्तन में खाना बनता है.
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रसोई में एक ही परिवार के लोग कई पीढ़ियों से भोग तैयार कर रहे हैं. 500 रसोइए 300 सहयोगियों की मदद से भोग बनाते हैं.
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रोजाना 700 नई हांडियों में भोग पकता है. एक बार खाना बनने के बाद हांडियों को तोड़ दिया जाता है. अगले दिन फिर नए बर्तन लाए जाते हैं.
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रसोई में 175 चूल्हों पर चावल बनता है. 9 बर्तन एक साथ एक ही चूल्हे पर चढ़ाए जाते हैं. 15 मिनट में चावल पक जाते हैं.
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