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श्रीकृष्ण से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. खासकर उनकी बातें हमें सकारात्मकता के साथ जीना सिखाती हैं. आज हम आपको बता रहे हैं उनकी कुछ बातें.
श्री कृष्ण कहते हैं कि कर्म करो पर फल की चिंता मत करो. अगर मेहनत पूरी हो तो ऐसा कोई कर्म नहीं जिसका फल न मिलें. परिणाम की चिंता न करके, आपको अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
जीवन को जीने की व्यापक सोच रखें. आप जो भी करें उसमें आपका विजन क्लियर होना चाहिए और परिस्थितियों के साथ रिस्क उठाने की क्षमता होनी चाहिए.
जो भी करना चाहते हैं उसे अच्छी तरह सोच समझ कर, समय के मुताबिक कोई कार्य या व्यवहार करें.
श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि- 'हे अर्जुन तुझे आकाश में देखने वाले देवता भी है और राक्षस भी, लेकिन तू खुद को देख और समझ'. यानी की अपने धर्म का साथ मत छोड़ो, क्योंकि अधर्म करके आप उस क्षण तो फायदा मिल जाएगा लेकिन जिंदगी भर के लिए यह बोझ आपके मन पर रहेगा.
जीवन में पॉजिटिव एटिट्यूड अपना कर साथ के लोगों को भी मोटिवेट करते रहो. खुद को और साथ जूडे़ लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहो.
अपनी मानसिक सोच और वाणी पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें. कब, कहां, क्या, और कैसे बोलना है, किस हाल में क्या सोचें और क्या कदम उठाएं, इस बात का ध्यान रखना होगा.
अपनी शक्ति और बड़प्पन का फायदा न उठाकर सबके प्रति आदर-सम्मान रखें. माता-पिता, गुरु, बड़ा-छोटा सबके सामने एक समान व्यवहार रखें.
कोई भी कार्य करने से पहले एक उसकी उचित योजना बनाना जरूरी है. क्योंकि अगर पांडवों के पास श्री कृष्ण की मास्टर स्ट्रेटजी न होती तो उनका युद्ध में जीत पाना असंभव था.