Photo Credits: Facebook/Rakesh Chaudhary & Vinayak Herbal
राजस्थान में कुचामन शहर के राजपुरा गांव में रहने वाले राकेश चौधरी की गिनती आज देश के अग्रणी करोड़पति किसानों में होती है. राकेश एलोवेरा सहित कई तरह की जड़ी-बूटियों की जैविक खेती व प्रोसेसिंग करके अच्छी कमाई कर रहे हैं.
अपनी खेती के दम पर उन्होंने विनायक हर्बल के नाम से अपनी कंपनी भी शुरू की है जिसके जरिए वे एलोवेरा, मुलेठी, गिलोय जैसी जड़ी- बुटियों को प्रोसेस करके कई तरह के आयुर्वेदिक उत्पाद बनाकर मार्केट करते हैं.
किसान परिवार में पले-बढ़े राकेश ने बचपन से खेती देखी थी. हालांकि, शुरुआत में उनका ध्यान बीएससी और बीएड करके नौकरी करने पर था. लेकिन पढ़ाई के दौरान एक दोस्त की मदद से उन्होंने जयपुर स्थित मेडिसिनल प्लांट बोर्ड में अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया.
यहां से उनकी जिंदगी की दिशा बदल गई. राकेश ने बोर्ड के साथ ट्रेनिंग की. फिर उन्हें स्थानीय किसानों को संगठित करने, उनकी समस्याओं को समझने और उन्हें औषधीय पौधों की अनुबंध खेती शुरू करने के लिए जागरुक करने का ऑन-फील्ड दिया गया.
राकेश ने खुद साल 2005 में औषधीय पौधों की खेती शुरू की. हालांकि, उन्हें ज्यादा अनुभव नहीं था तो शुरुआत में उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ा. लेकिन उन्होंने बार नहीं मानी.
नुकसान के बाद वह कृषि वैज्ञानिकों से मिले. कृषि वैज्ञानिकों ने उन्हें बताया कि उनके इलाके में किन फसलों की अच्छी पैदावार हो सकती है और इसमें मुनाफा भी काफी ज्यादा है.
पूरी जानकारी हासिल करने के बाद उन्होंने अपने खेतों में एलोवेरा के साथ दूसरी जड़ी-बुटियों की खेती शुरू की. वैज्ञानिकों की देखरेख में फसल की कटाई और प्रोसेसिंग की और उसे बाजार में बेचा.
उन्होंने एलोवेरा की खेती में अपने साथ 60 से ज्यादा किसानों को जोड़ा और फिर प्रोसेसिंग युनिट शुरू की. अपने उत्पादों को वह डाबर और पतंजलि जैसी कंपनियों को बेचते हैं.
अपनी खेती और प्रोसेसिंग के काम से राकेश आज एक करोड़ से ज्यादा सालाना कमाई कर रहे हैं. पैसे कमाने के साथ-साथ उन्होंने नाम भी कमाया है.
राकेश चौधरी दूसरे किसानों को जड़ी-बूटी की खेती गुर बताने के लिए देश से बाहर भी जाते हैं. उनकी इस कामयाबी पर केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने उन्हें नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड में सदस्य भी बनाया है.