राखी बांधते समय शुभ मुहूर्त के साथ दिशाओं का भी ध्यान रखना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर अशुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राखी बांधते समय बहन का चेहरा पश्चिम दिशा में और भाई का चेहरा पूर्व दिशा में होना चाहिए.
राखी बांधते समय भाई का मुख उत्तर दिशा की ओर भी हो सकता है. इन दिशाओं में देवी-देवताओं का वास होता है. जिससे भाई-बहन के रिश्ते पर भगवान का आशीर्वाद बना रहता है.
शाम को भाई को राखी बांध रही हैं तो भाई का मुख पश्चिम की तरफ होना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भाई के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार भद्रा और राहुकाल के दौरान भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधनी चाहिए. ये दोनों समय बहुत ही अशुभ माने जाते हैं.
राखी के दिन बहन अपने भाई के माथे पर अक्षत (चावल) और कुमकुम मिलाकर तिलक करती हैं. तिलक लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि टूटे हुए चावल न हों.
काले रंग की राखी का प्रयोग नहीं करना चाहिए. शास्त्रों में यह भी माना जाता है कि यह रंग नकारात्मकता को दर्शाता है.
राखी की थाली में हमेशा दाहिनी ओर मिठाई रखें और बाईं ओर राखी.
राखी की थाली में मिट्टी का दीपक, कुमकुम, हल्दी, चावल, दही और अक्षत रखें. थाली में पानी का एक छोटा कलश भी रखना चाहिए.