क्या सच में रावण के 10 सिर थे? 

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रावण के 10 सिरों का जिक्र रामायण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में मिलता है.

हालांकि, ये 10 सिर शाब्दिक रूप से नहीं बल्कि प्रतीकात्मक रूप में समझे जाते हैं.

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, रावण के 10 सिर उसकी ज्ञान, शक्ति, और उसकी कई गुणों का प्रतीक हैं.

आधुनिक व्याख्याओं में कहा गया है कि रावण के 10 सिर, उसके दस अलग-अलग स्वभाव, इच्छाओं या मानवीय कमजोरियों को दर्शाते हैं, जैसे कि क्रोध, वासना, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या आदि.

ये सभी मनुष्य के अंदर होने वाली भावनाएं हैं, जिनका रावण प्रतीक था.

कुछ मान्यताओं के अनुसार, रावण की बुद्धि और ज्ञान इतना विशाल था कि उसे "दशानन" या दस सिरों वाला कहा जाता था.

वहीं कुछ लोग इसे प्रतीकात्मक रूप में भी देखते हैं, कि रावण की दस अलग-अलग दिशाओं में सोचने की क्षमता थी.

इसलिए, रावण के 10 सिर शाब्दिक नहीं बल्कि उसकी विभिन्न मानसिक और शारीरिक शक्तियों का प्रतीक माने जाते हैं.

नोट- यहां बताई गई बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.