हर साल विजयादशमी के दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है और इसे अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में देखा जाता है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ जगह ऐसे भी हैं जहां पर दशहरे के दिन रावण दहन नहीं बल्कि लंकापति नरेश की पूजा अर्चना की जाती है.
आइए जानते हैं उन जगहों के बारे में जहां रावण दहन नहीं बल्कि पूजा की जाती है.
उत्तरप्रदेश के बिसरख में रावण का दहन नहीं बल्कि उसकी पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि यहीं पर रावण का जन्म हुआ था.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में ना केवल रावण बल्कि उनके पुत्रों को भी देवताओं की तरह की पूजा जाता है.
ऐसी मान्यता है कि हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में ही रावण ने भगवान भोलेनाथ को अपनी कठोर तपस्या से प्रसन्न किया था. इसलिए यहां रावण की पूजा की जाती है.
राजस्थान के जोधपुर में रावण का पुतला दहन नहीं बल्कि रावण को पूजनीय माना जाता है. दरअसल, यहां के मौदगील ब्राह्मण खुद को रावण का वंशज मानते हैं.
मध्यप्रदेश के मंदसौर में रावण की पूजा का कारण मंदोदिरी है जो रावण की पत्नी थी. कहा जाता है कि मंदसौर ही मंदोदिरी का मायका था.