इस नदी का नाम है कर्मनाशा. ये उत्तर प्रदेश और बिहार में बहती है.
ये नदी यूपी के सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से बहती हुई बक्सर के पास पहुंचकर गंगा में मिल जाती है.
एक तरफ जहां लोग नदियों में नहाने के लिए उत्साहित रहते हैं, वहीं दूसरी ओर लोग इस नदी के किनारे जाने से भी घबराते हैं.
खास तौर से अगर कोई शुभ कार्य करने जा रहा हो तो नदी का पानी भी छूने से डरता है.
कर्मनाशा नदी के शापित होने के पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है.
ऐसी मान्यता है कि सत्यव्रत यानी त्रिशंकु नाम के राजा ने गुरु वशिष्ठ से शरीर के साथ स्वर्ग में जाने की इच्छा जाहिर की थी.
तो तपस्या के बाद ऐसा संभव हो गया लेकिन वहां से इंद्र ने उन्हें वापस भेज दिया और वे उलटे ही आसमान में लटके रह गए.
कहा जाता है कि उनके मुंह से लार टपकने लगी और इससे एक नदी बन गई. फिर खुद गुरु वशिष्ठ ने सत्यव्रत को श्राप दे दिया.
अब मान्यता है कि इसी श्राप की वजह से नदी शापित है. कहा जाता है कि इस नदी के पानी को जो छू लेता है, उसका बना बनाया काम बिगड़ जाता है.