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शिव जी आदि अनादि और अनंत हैं. बहुत जल्दी भक्तों की कामना पूरी करते हैं. विधिपूर्वक शिव जी के मंत्र का जप करने से किसी भी तरह की कामना पूरी की जा सकती है.
शिव जी के मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से और प्रदोष काल में करना उत्तम होगा. मंत्र जप करने के पहले शिव जी के कल्याणसुंदरम स्वरूप का ध्यान करना चाहिए.
शिव जी का पंचाक्षरी मंत्र है "नमः शिवाय". यह 5 तत्वों की शक्ति से भरा हुआ है. इस मंत्र के निरंतर जप से शिव कृपा अवश्य मिलती है.
इसी मंत्र का षडाक्षर स्वरुप है - "ॐ नमः शिवाय". जन कल्याण या दूसरों के कल्याण के निमित्त इस मंत्र को पढ़ना चाहिए.
भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र का जप असाध्य रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है.
महामृत्युंजय मंत्र मृत संजीवनी है. जब मृत्यु जैसी स्थिति हो तब इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है.
अशुभ ग्रहों की दशा में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ विशेष लाभकारी होता है. अगर नृत्य के साथ इसका पाठ करें तो सर्वोत्तम होगा.
दारिद्रय दहन स्तोत्र का पाठ करने से दरिद्रता का नाश होता है. अगर आर्थिक स्थिति ख़राब हो तो इसका पाठ अवश्य करें.