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कुंभ मेले का हिन्दू धर्म में खास महत्व के साथ बड़ा ही रोचक इतिहास है. इसका आयोजन 12 साल में किया जाता है.
ये भारत के 4 शहर प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है.
लेकिन हममें से कई लोगों को ये नहीं पता है कि कुंभ का आयोजन 12 साल में और इन खास शहरों में ही क्यों होता है. तो चलिए जानते हैं इसके पीछे का ऐतिहासिक राज.
बता दें कि, 850 साल पहले कुंभ मेले की शुरूआत आदि शंकराचार्य ने की थी. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत के लिए 12 दिनों तक लड़ाई हुई थी.
देवताओं के 12 दिन मनुष्यों के लिए 12 साल के बराबर होते हैं. कहा जाता है कि इस दौरान मंथन से 12 स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरी.
इसमें से 8 बूंदें देवलोक और 4 बूंदें पृथ्वी पर प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरीं. इसीलिए, हर 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.
कहा जाता है कि इस दौरान इन शहरों कि नदियां अमृत में बदल गईं. यही वजह है कि, दुनिया भर से लोग कुंभ मेले में स्नान करने के आते हैं.
वहीं कुंभ के मेले का 12 साल में लगने का मुख्य कारण बृहस्पति की गति भी बताई जाती है.
बृहस्पति एक राशि में लगभग 12 महीने रहता है. और लगभग 12 सालों में बारह राशियों का चक्कर पूरा करता है.
वहीं लगभग 12 सालों के बाद उसी राशि में स्थित होता है. इसीलिए कुंभ का मेला 12 साल में लगता है.
नोट- यहां बताई गई बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.