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मथुरा में बांके बिहारी मंदिर का अपना अलग ही आकर्षण है. इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं. बांके बिहारी के सामने कुछ अंतराल पर पर्दा डालने की परंपरा है.
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बांके बिहारी मंदिर में कृष्ण की मूर्ति के सामने हर 2 मिनट पर पर्दा डालने की परंपरा है. चलिए इसके पीछे का कारण बताते हैं.
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बांके बिहारी मंदिर में भक्तों को भगवान को निहारने से रोकने के लिए कुछ समय के अंतराल में पर्दा डालने की परंपरा शुरू की गई थी.
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इस परंपरा का मकसद है कि भगवान कृष्ण कहीं किसी भक्त के प्रेम और भक्ति भाव में डूबकर उनके साथ न चले जाएं.
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बांके बिहारी मंदिर में 400 साल पहले पर्दा डालने की परंपरा नहीं थी. भक्त बिना किसी रुकावट के भगवान कृष्ण के दर्शन करते थे.
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पर्दा डालने की परंपरा की शुरुआत तब की गई थी, जब मंदिर में एक बुजुर्ग महिला भक्त आई थी.
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वो महिला निसंतान थी. उसको चिंता थी कि उसका कोई नहीं है. वो अपनी धन-संपत्ति किसको देगी. इस दुख को लेकर वो मंदिर आई थी.
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जब महिला मंदिर में आई तो वो भजन कीर्तन में लीन हो गई. महिला बांके बिहारी को एकटक देखने लगी. वो घंटों बैठी रही.
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उस बुजुर्ग महिला के मन में आया कि वो बांके बिहारी को ही अपना पुत्र बनाकर उनके नाम सारी जायदाद कर देगी.
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जब बुजुर्ग महिला मंदिर से जाने लगी तो बांके बिहारी मूर्ति स्वरूप में उसके पीछे-पीछे चल दिए. जैसे-तैसे पुजारियों ने भगवान को मनाया और मंदिर में लेकर आए.
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इस घटना के बाद से ही मंदिर में हर 2 मिनट बाद पर्दा डालने की परंपरा शुरू की, ताकि किसी भक्त के साथ न चले जाएं.
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