भगत सिंह की आखिरी इच्छा जान लीजिए

(Photos Credit: Getty/AI)

भारत सैकड़ों साल तक अंग्रेजों का गुलाम रहा. अंग्रेजों ने भारत के लोगों पर बहुत अत्याचार किए.

भारत को आजाद कराने के लिए बहुत सारे लोगों की भूमिका रही. कई लोगों ने देश की आजादी के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की.

जब भी भारत के क्रांतिवीरों की बात होगी तो सबसे पहले नाम भगत सिंह का आएगा. भगत सिंह ने देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी.

भगत सिंह को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी. भगत सिंह का इंकलाब आज भी पूरे देश में गूंजता है.

कम लोगों को पता है कि भगत सिंह की आखिरी इच्छा अधूरी रह गई थी. आइए इस बारे में जानते हैं.

1. 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंके. उन दोनों ने खुद अपनी गिरफ्तारी दे दी.

2. दो साल तक उन पर केस चला. आखिर में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 24 मार्च को फांसी दे दी गई.

3. भगत सिंह ने जेल में सफाई करने वाली बेबे से कहा था कि फांसी से एक दिन पहले उनको घर का खाना खिलाए.

4. 24 मार्च की जगह बाद में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च को फांसी दी गई. इस वजह से बेबे जेल के अंदर आ  ही नहीं पाई.

5. भगत सिंह की ये आखिरी इच्छा पूरी नहीं हो पाई. भगत सिंह ने फांसी से एक दिन पहले एक खत भी लिखा. उसके अल्फाज आज अमर हैं.

नोट- यहां बताई गईं सभी बातें सामान्य जानकारी पर आधारित है. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.