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रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
किस किस को बताएंगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे
आंख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
अगर तुम्हारी अना ही का है सवाल तो फिर चलो मैं हाथ बढ़ाता हूँ दोस्ती के लिए
तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल हार जाने का हौसला है मुझे
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
उम्र भर कौन निभाता है तअल्लुक़ इतना ऐ मिरी जान के दुश्मन तुझे अल्लाह रक्खे