मकर संक्रांति के दिन क्यों बनाई जाती है खिचड़ी?

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मकर संक्रांति सिर्फ एक त्योहार नहीं है बल्कि यह परंपराओं और कथाओं से जुड़ा एक खास दिन है. इस दिन खिचड़ी बनाना और दान करना बेहद शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं इस दिन खिचड़ी क्यों बनाई जाती है?

साल 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को सुबह 9:03 से शाम 5:46 बजे तक रहेगा. इस समय को खास पूजा, स्नान और दान के लिए आदर्श माना गया है.

मकर संक्रांति को उत्तर भारत में खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है. इस दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा रही है. खिचड़ी का जुड़ाव बाबा गोरखनाथ से है.

मान्यता है कि खिलजी के आक्रमण के दौरान बाबा गोरखनाथ के योगी खाना नहीं बना पाते थे और भूखे रहने की वजह से हर ढलते दिन के साथ कमजोर हो रहे थे. 

अपने योगियों के बिगड़ते हालत को देखते हुए बाबा गोरखनाथ ने चावल, दाल और सब्जी मिलाकर खिचड़ी बनाने की सलाह दी थी. 

गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ के मंदिर पर हर साल खिचड़ी मेला लगता है, जहां बाबा को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. 

मकर संक्रांति पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं. यह समय नया ऊर्जा चक्र शुरू होने का प्रतीक माना जाता है. इस दिन तिल, गुड़, अन्न और वस्त्र दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने और व्रत रखने का विशेष महत्व है. इससे आत्मा की शुद्धि मानी जाती है.  

देश के कई हिस्सों में मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाई जाती है, जो खुशी और उत्साह का प्रतीक है.