हाथ और पैर हमारी कुंडली की तरह होते हैं और उनमें पाए जाने वाले चिन्ह योगों को बताते हैं. चिन्ह दो तरह के होते हैं. एक जो हमेशा रहते हैं और दूसरे जो आते जाते रहते हैं.
तारा- हाथ या पैर में जहां भी हो उस स्थान को नुकसान पहुंचाता है पर सूर्य के पर्वत पर अतीव यश देता है.
वलय- यह जहां होते हैं वहां की चीज़ों का शुभ प्रभाव रोक देते हैं ,सूर्य पर सबसे बुरा होता है और बृहस्पति पर सबसे अच्छा.
तिल- केवल हथेली के बीचों बीच ही अच्छा होता है. अन्य जगह पर बिल्कुल नहीं. अगर तलवे में हो तो खूब दौड़ भाग करनी होती है.
शंख- अंगुलियों के पोरों पर शंख पाए जाते हैं तो यह विद्वता और ज्ञान का चिन्ह है.
चक्र- यह भी उंगलियों के पोरों पर पाए जाते हैं , यह धन संपत्ति के द्योतक होते हैं.
त्रिशूल- बृहस्पति के पर्वत पर,शनि के पर्वत पर या हृदय रेखा पर. यह अपार शक्ति तथा यश का चिन्ह है.
मंदिर- आम तौर पर शुक्र या राहु के पर्वत पर पाया जाता है,यह दैवीय कृपा का चिन्ह है तथा आध्यात्मिक संस्कारों के बारे में बताता है
मछली- जीवन रेखा पर मणिबंध के पास पायी जाती है या पैरों के बीचों बीच में . यह यात्राओं और यात्राओं से लाभ का चिन्ह
कमल- अतीव दुर्लभ चिन्ह है. पैरों के मध्य में या हाथों में शुक्र पर्वत पर होता है. यह इस बात का संकेत है कि जिसके पास यह चिन्ह है वह स्वयं ईश्वर या ईश्वर के काफी नजदीक का व्यक्ति है.