इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था.
हम आपको भगवान शिव द्वारा धारण सभी शुभ प्रतीकों के बारे में बता रहे हैं. भगवान शंकर अपने हाथ में त्रिशूल लिए रहते हैं. मान्यता है कि भगवान के त्रिशूल से ही सृष्टि की उत्पत्ति और प्रलय होता है.
भगवान शिव का त्रिशूल वर्तमान, भूत और भविष्य के साथ सतगुण, रजगुण और तमगुण का प्रतीक है.
भोलेनाथ गले में साप धारण किए रहते हैं. वह रुद्राक्ष की माला भी पहने रहते हैं. रुद्राक्ष भगवान के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है. रुद्राक्ष पहननने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भागिरथ की कठोर तपस्या के बाद मां गंगा स्वर्ग से धरती पर उतरीं, लेकिन उनका वेग बहुत अधिक था. वेग को संतुलित करने के लिए शिव जी ने गंगा मां को अपनी जटाओं में बांध लिया.
शिव पुराण में बताया गया है कि महाराज दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया था. इससे बचने के लिए चंद्रमा ने शिव जी की पूजा की थी. फिर भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर उनके प्राण बचाए थे.
भगवान शिव के पैरों में कड़ा होता है. ये कड़ा स्थिरता और एकाग्रता दिखाता है. योगजन और अघोरी भी एक पैर में कड़ा पहनते हैं ताकि वो शिव जी की कृपा प्राप्त कर सकें.
भोलेनाथ मृगछाला पर विराजमान होते हैं. तपस्वी और साधना करने वाले मृगासन या मृगछाला पर बैठकर साधना करते हैं. माना जाता है कि इस पर बैठकर साधना करने से मन की अस्थिरता दूर हो जाती है.
भगवान भोलेनाथ के हाथ में डमरू होता है. ये संसार का पहला वाद्य है. इसके स्वर से ही वेदों के शब्द उत्पन्न हुए.