देश के प्रधानमंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म 25 जून 1931 को इलाहाबाद में हुआ था. जबकि 27 नवंबर 2008 को उनका निधन हो गया. वो देश के 8वें प्रधानमंत्री थे.
80 के दशक के आखिरी सालों में वीपी सिंह के एक नारा गूंजा था- राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है.
बोफोर्स घोटाले के मुद्दे पर वीपी सिंह ने राजीव कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और सियासत में क्लीन मैन की इमेज के साथ सामने आए.
1989 आम चुनाव में कांग्रेस की हार हुई. बीजेपी और कम्युनिस्टों की मदद से वीपी सिंह देश के 8वें प्रधानमंत्री बने.
पीएम वीपी सिंह ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट की एक सिफारिश को लागू किया और केंद्रीय नौकरियों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया.
आरक्षण लागू करने के बाद वीपी सिंह एक समुदाय के निशाने पर आ गए. नारा गूंजा- राजा नहीं रंक है, देश का कलंक है.
साल 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को बिहार में वीपी सिंह की पार्टी की सरकार ने रोक दिया. इसके बाद बीजेपी ने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई.
वीपी सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे. उस दौरान उन्होंने डाकुओं के खिलाफ अभियान चलाया था. इस दौरान उनके भाई की हत्या भी हुई, जो जज थे.
वीपी सिंह एक जमींदार परिवार थे. वो भूदान आंदोलन में भी सक्रिय रहे. उन्होंने अपनी सारी जमीनें दान दे दीं.
साल 1936 में वीपी सिंह को मांडा के राजा बहादुर राय गोपाल सिंह ने गोद लिया था. साल 1941 में बहादुर राय के निधन के बाद वीपी सिंह मांडा के 41वें राजा बने थे.