सद्दाम हुसैन के बारे में ये 10 बातें जानते हैं?

सद्दाम का पूरा नाम सद्दाम हुसैन अब्द अल-मजीद अल-टिकरी था.

सद्दाम का एक जन्म  भूमिहीन सुन्नी परिवार में हुआ था, जो पैगम्बर मोहम्मद के वंशज होने का दावा किया करते हैं.

सद्दाम ने अपने पिता  हुसैन आबिद-अल-मजीद को कभी नहीं देखा और न कभी उनके बारे में जान पाए. क्योंकि उनके जन्म के छह माह पहले ही वो घर से गायब हो गए थे. बाद में उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई.

पिता के गायब होने के समय सद्दाम गर्भ में ही था और उसकी मां तुलफा-अल-मुस्स्लत ने आत्महत्या करने के साथ ही गर्भपात का भी विचार बना लिया था, लेकिन किसी तरह से यह फैसला टल गया. इस वजह से ही इस बच्चे को सद्दाम नाम मिला.

सद्दाम के जन्म के कुछ दिनों बाद ही सद्दाम के बड़े भाई की कैंसर से मौत हो गई, जो केवल 13 साल का था.

इसके बाद सद्दाम को उसके मामा खैरअल्लाह तलफ के पास बगदाद भेज दिया गया और उसे तब तक वापस नहीं लाया गया जब तक कि वह तीन साल का नहीं हो गया.

1957 में 20 साल की उम्र में सद्दाम स्कूल की पढ़ाई छोड़कर क्रांतिकारी अरब बाथ पार्टी में शामिल हो गया था. इस दौरान सद्दाम ने कुछ समय स्कूल में अध्यापक का काम भी किया था.

1958 में इराक में तख्तापलट हुआ और सद्दाम को चचेरे भाई की हत्या के आरोप में जेल में डाल दिया गया था, लेकिन 10 माह के बाद सबूतों के अभाव में उसे रिहा कर दिया गया.

1979 में सद्दाम हुसैन ने खराब स्वास्थ्य के नाम पर जनरल अहमद हसन अल बक्र को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया और खुद देश का राष्ट्रपति बन बैठा.

कई रिपोर्ट्स के अनुसार, सद्दाम हुसैन ने खुद के खून से कुरान की एक प्रति लिखवाई थी. कहते हैं कि 90 के दशक में इसे लिखने में 27 लीटर खून का इस्तेमाल हुआ. खून में कुछ केमिकल्स भी मिलाए गए थे.

अजीबोगरीब बात ये थी कि हुसैन की मौत के बाद अधिकारियों को यह तय करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी कि इसका क्या किया जाए. एक पवित्र किताब को नष्ट करना भी ठीक नहीं था और सद्दाम के खून से लिखी किताब को संभालकर रखना भी अधिकारी नहीं चाहते थे.